मिशन अस्पताल बिलासपुर जोक 1885 में अपने अस्तित्व में आया था और यदि हम पुरानी अस्तित्व की बात करें तो मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर के उन पुराने अस्पतालों में से एक है जहां पर संभवत इलाज किया जाता था और यह लोगों के स्वास्थ्य सुविधा का महत्वपूर्ण स्थल था धीरे-धीरे कालांतर में इसका कायाकल्प होता रहा और लोगों को यह अपनी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करता रहा है 1892 में मिशन अस्पताल के निर्माण के लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन को यह जमीन लीज पर दी गई थी शासन ने वर्तमान में लीज की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया था इसके बाद प्रबंधन हाई कोर्ट में चला गया और वहां याचिका खारिज होने के बाद तहसीलदार ने 26 अगस्त शाम 5:30 बजे तक की मोहलत दी लेकिन इससे पहले ही प्रबंधन ने जमीन पर मालिकाना हक छोड़ दिया मिशन अस्पताल की स्थापना 1885 में हुई थी और जिसकी लीज़ 2014 तक समाप्त हो गई थी लीज के नवीनीकरण के लिए अस्पताल प्रबंधन ने आवेदन नजरों को न्यायालय ने इसी साल खारिज कर दिया इसके बाद मिशन प्रबंधन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाई कोर्ट ने स्थगन करने से इनकार कर दिया यहां पर आरोप है कि मिशन अस्पताल प्रबंधन ने चैरिटी के नाम पर जिस जमीन को लीज पर लिया था उसे किराया देकर मोटी रकम वसूली जा रही थी निगम की इस देश कीमती जमीन पर कब्जा कर व्यवसाय कारण से इस्तेमाल करना निगम को नोटिस देने के लिए मजबूर किया लेकिन हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद मिशन अस्पताल प्रबंधन के पास इसकी जमीन खाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा 1966 में नवीनीकरण के बाद 1994 तक बढ़ाई गई थी लेकिन इसके बाद नवीनीकरण का प्रयास नहीं हुआ
और यह अरबो रुपए की यह जमीन चंद लोगों के हाथों में थी जो मिशन स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्य थे मोहल्ला चाटापारा सीट नंबर 14 प्लॉट नंबर 20/1 और 21 रकबा 3 लाख 87211 एवं 40500 वर्ग फीट की जमीन का कब्जा पत्र लिखकर अस्पताल प्रबंधन में प्रशासन को देने की बात कही है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जमीन पर जो अवैध कब्जा है उसका क्या होगा वैसे भी डॉक्टर रमन जोगी ने अपने पत्र में प्रशासन को ही निशाने पर लेटे हुए कहा है कि अस्पताल छोड़ रहे हैं लेकिन मरीजों के साथ अगर कोई अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदार प्रशासन होगा आपको बता दें कि डॉक्टर रमन जोगी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के रिश्तेदार हैं …