एमसीबी.. मनेद्रगढ़ जो कि नवनिर्मित छत्तीसगढ़ जिलों में से एक है जहां पर प्राकृतिक संपदा जल जंगल और जमीन का विस्तार भरपूर मात्रा पर प्रकृति ने प्रदान किया है और इसी प्राकृतिक सौंदर्य के बीच सिद्ध बाबा पहाड़ी जहां पर भगवान भोलेनाथ स्वयं विराजमान है
ऐसी प्राकृतिक धार्मिक स्थल के आसपास लगातार कचरो का अंबार लगता जा रहा है और यह कचरा मनेद्रगढ़ नगर पालिका नगर पंचायत और आसपास के अस्पतालों का वह कचरा है जो की प्राकृतिक संपदा और वन परिक्षेत्र में आने वाले वन जीव जंतु जंतुओं के लिए बहुत ही खतरनाक और हानिकारक है
मनेद्रगढ़ का यह परिक्षेत्र पूर्णता वन संरक्षित परिक्षेत्र माना गया है और यहां पर जंगली जानवरों जीव जंतुओं का निवास और उनकी उपस्थिति लगातार दिखाई देती रहती है और शाम ढलती ही यहां पर फेक जाने वाले कचरा जो कि नगर पालिका नगर पंचायत और हॉस्पिटलों के वेस्ट प्रोडक्ट हैं उनके दुर्गंध से जंगली जीव आकर्षित होते हैं और अपनी भूख मिटाने मिटाने के लिए लगातार इन कचरो को खाने के लिए सामान्य रूप से उपस्थित हो जाते हैं
मनेद्रगढ़ का यह जंगल जंगली जानवरों का क्षेत्र आजकल पूर्णता असुरक्षित और असामान्य वातावरण और प्रदूषण से बढ़ता जा रहा है जहां शासन एक ओर वन संरक्षण और वन्य जीव जंतु संरक्षण योजना पर करोड़ों करोड़ों खर्च करती है वही यह जंगली पहाड़ी वन क्षेत्र शासन की योजनाओं को अंगूठा दिखाते नजर आ रहा है
यदि ऐसा लगातार चला रहा तो मनेद्रगढ़ जो कि जल जंगल और पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता और भगवान् भोले नाथ की स्थली सिद्ध बाबा पहाड़ी के नाम से न केवल छत्तीसगढ़ में भारत में बल्कि विश्व प्रसिद्ध है… उसकी प्रतिष्ठा पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है
इस जंगल और जंगली जीव जंतु निवास परिक्षेत्र पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता एवं वातावरण पर विपरीत प्रभाव जल्द ही पड़ेगा और वन प्राणी संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है….