
आजकल बढ़ती जनसंख्या महगाई और बेरोजगारी के मुख्य मुद्दों की वजह से आम आदमी की सबसे बड़ी समस्या घर की हो गई है…. साथ ही शहरों में घर की व्यवस्था आम जनता के पहुँच से बाहर हो गई है और इसके लिए एक मात्र वैकल्पिक व्यवस्था किराये का घर हो गया है । और इस प्रकार किराये के घर के लिए मुख्य रूप से निम्न प्रकार से नियमो का ध्यान रखना मकान मालिक और किराये दार दोनों के लिए अति आवश्यक हो गया है वरना दोनों पक्ष को कानूनी समस्याओं का से जूझना पड़ सकता हैं………
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सरकार ने मकान मालिकों और किरायेदारों के हितों के रक्षक के लिए साल 2021 में मॉडल किराएदारी अधिनियम मंजूर किया था इस अधिनियम के तहत किराए के मामले में कुछ नए नियम लागू किए गए हैं।
1. मकान मालिक को किराए के परिसर में प्रवेश करने से पहले 24 घंटे की सूचना देनी होगी।
2. किराएदार और मकान मालिक के बीच रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है इसमें किराएदार कब तक रहेगा कितना किराया देगा जमानत राशि समेत सभी जानकारी होनी चाहिए ।
3. रेंट एग्रीमेंट की समय सीमा खत्म होने पर दोबारा एग्रीमेंट बनाना जरूरी है।
4. किराएदार की गैर मौजूदगी में मकान मालिक को घर का ताला नहीं तोड़ना चाहिए।
5. किराएदार और मकान मालिक की सहूलियत के लिए किराया अदालतों की स्थापना की गई है इन अदालतों में विवादों के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त एटीएम रैंक का एक अधिकारी होता है।
6. किराया न्यायाधिकरण उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक जिला न्यायाधीश या अतिरिक्त जिला न्यायाधीश होता है।

🔺मॉडल किराएदारी अधिनियम …….
1. नियमित या और समय सीमा यह अधिनियम किराएदारी संबंधों को निर्धारित नियमों के तहत करने के लिए निर्दिष्ट समय सीमाओं को निर्धारित करता है । जैसे कि किराएदार की तरफ से पूर्व सूचना और मकान मालिक की तरफ से अवसरक्ता नोटिस की समय सीमा।
2. किराएदार के अधिकार यह अधिनियम किरदारों के अधिकारों को मजबूत करता है जैसे की विनयमित् नियमों के तहत विनयमित किराया बढ़ाने का अधिकार।
3 मकान मालिक के अधिकार मालिकों को उनकी संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण और विभिन्न उपयोग की अनुमति होती है लेकिन वह किराएदारों की अधिकारों का सम्मान करने के लिए भी जिम्मेदार होती है।
4. सुरक्षा जमानत इसके अंतर्गत किराएदार के द्वारा जमानत देने की प्रक्रिया और नियम निर्धारित किए गए हैं।
5. अनुशासन और जुर्माना अधिनियम किराएदारों और मकान मालिकों के बीच उल्लंघन की सजा को संगठित करता है.।
6. विवाद समाधान. अधिनियम विवादो को न्यायिक समाधान की दिशा मे प्रोत्साहित करता है और जल्दी नई प्रक्रिया को पूरा करने की दिशा में उत्साहित करता है।
🔺उपरोक्त न्यायिक समाधान एवं बिंदु मालिक एवं किराएदार के हितों के उद्देश्य को लेकर निर्धारित किए गए हैं.🔺
