भालुओं का पूरा परिवार कुटिया में आता है तब इंसान और जानवरों के बीच के अद्भुत प्रेम के संगम का एक नजारा दिखाई पड़ता है इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं

अनूपपुर – मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सीमा पर अनूपपुर जिले से 74 किलोमीटर दूर जनकपुर के पास उचेहरा गाँव के नज़दीक के जंगल में राजामाँड़ा नामक स्थान पर एक बाबा छोटी सी कुटिया बनाकर रहते हैं साथ ही एक उम्रदराज महिला भी रहती है । और यहां प्रतिदिन एक दो नहीं भालुओं का पूरा कुनबा जब दस्तक देता है तो यहां का नजारा देखने लायक होता है, बाहर से यहां पर पहुंचने वालों की सांस थम जाती हैं लेकिन उस बाबा और बुढ़िया मां के लिए मानो तो कोई मेहमान उनके यहां पधारा हो और उनकी सेवा भाव में मां बाबा लग जाते हैं,

जंगल के जानवर और इंसानों के बीच यदि प्रेम का अद्भुत भाव देखना हो तो इससे बेहतर नजारा और कहीं नहीं मिल सकता है।

प्रतिदिन खूंखार माने जाने वाले भालू का परिवार बाबा की इस कुटिया में पहुंचता है जिनकी सेवा मां बाबा सेवा करते हैं और उन्हें सीताराम के नाम से पुकारते हैं, कुटिया में पहुंचकर जंगली भालू का परिवार चुपचाप दिए गए भोजन को ग्रहण करता है और मां बाबा के इशारे पर फिर से जंगल की तरफ लौट जाता हैं।
यह नजारा इंसान व जानवर के बीच निस्वार्थ प्रेम को दर्शाता है यदि प्रेम सच्चे मन से किया जाए तो खूंखार से खूंखार जानवर भी मित्र बन जाते हैं




