
अन्नपूर्णा मंदिर, शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है, जो मां अन्नपूर्णा को समर्पित है। अन्नपूर्णा देवी को भोजन और पोषण की देवी माना जाता है। शिवरीनारायण धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है और यह छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ का हिस्सा है, जो भगवान राम के वनवास के दौरान उनके यात्रा मार्ग का प्रतीक है।
मुख्य विशेषताएं:

1. ऐतिहासिक महत्व:
यह मंदिर महानदी और शिवनाथ नदियों के संगम के पास स्थित है, जो इसे धार्मिक दृष्टि से और भी पवित्र बनाता है।
शिवरीनारायण का संबंध शबरी की कथा से भी जुड़ा हुआ है, जो भगवान राम की भक्त थीं। कहा जाता है कि शबरी ने भगवान राम को मीठे बेर चखकर अर्पित किए थे।
2. मंदिर की वास्तुकला:
अन्नपूर्णा मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू शैली में है, जिसमें सुंदर नक्काशी और मूर्तियां देखने को मिलती हैं।
मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
3. त्योहार और उत्सव:
नवरात्रि और अन्नपूर्णा जयंती के समय मंदिर में विशेष भीड़ होती है। इस दौरान श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
इन त्योहारों के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
4. पर्यटन और तीर्थयात्रा:
अन्नपूर्णा मंदिर राम वन गमन पथ के प्रमुख स्थानों में से एक है, जहां भक्त भगवान राम के वनवास से जुड़े स्थानों का दर्शन करने आते हैं।

यह मंदिर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जिससे छत्तीसगढ़ में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
अन्नपूर्णा मंदिर, शिवरीनारायण अपनी प्राचीन कथाओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां का आध्यात्मिक वातावरण भक्तों को शांति और भक्ति का अनुभव कराता है।

विशेषता – मंदिर की एक विशेषता है जो वहाँ के स्थानीय मित्रों ने बताया और मैंने भी अनुभव किया, वहाँ ज्योति कलश वाले कमरे में हज़ारों दीप कलश प्रज्वलित होने के बाद भी एक भी धुआं नहीं था, और वहाँ अंदर कुछ परिंदों नें भी आशियाना बनाया हुआ था, यह सच में बहुत अद्भुत चीज़ लगी मुझे।



