
*हर 12 साल में लगता है महाकुंभ मेला,*
जो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले साल यानी 2025 में लगने वाला है। इससे पहले वर्ष 2013 में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया है। महाकुंभ के अलावा हर 6 साल में अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है और हर 3 साल में आयोजित होता है कुंभ मेला।
महाकुंभ मेले की शुरुआत अगले साल जनवरी के महीने में होगी।
कुंभ हो या महाकुंभ मेला, हर मेले में शाही स्नान का बेहद खास महत्व होता है। अगले साल कब से शुरू होने वाला है महाकुंभ मेला? कब तक चलेगा महाकुंभ मेला और कब-कब होंगी शाही स्नान?
*क्या है महाकुंभ मेले से जुड़ी पौराणिक कथा?*
महाकुंभ से जुड़ी पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन से जब अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों में 12 वर्षों तक लगातार युद्ध हुआ। भगवान विष्णु के कहने पर गरुड़ ने अमृत कलश ले लिया तो उससे छलकर अमृत की 4 बुंदे धरती पर गिर गयी। ये बुंदें जहां गिरी वहां प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन शहर बसें। इसलिए महाकुंभ, अर्द्धकुंभ अथवा कुंभ मेले का आयोजन सिर्फ इन्हीं 4 शहरों में किया जाता है।
*कब से कब तक चलेगा महाकुंभ मेला?*
देश के जिन 4 शहरों में महाकुंभ मेला लगता है, उनमें प्रयागराज में संगम के तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर और हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा को होती है। अगले साल 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ की शुरुआत होगी। महाकुंभ का मेला अगले करीब 45 दिनों तक चलता है। इसलिए महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी 2025 को होगा। इस दौरान कई शाही स्नान होंगे, जिनमें शामिल होने से लोगों को पुण्य का लाभ मिलता है।
*क्या है शाही स्नान का महत्व?*
हिंदु धर्म में महाकुंभ मेले में स्नान को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति महाकुंभ मेले में स्नान करता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इसके साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। कहा जाता है कि महाकुंभ मेले में स्नान करने से पितरों को भी शांति मिलती है और उनका आर्शिवाद हमेशा बना रहता है।
कब-कब होगा शाही स्नान?
मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
वसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा – 12 फरवरी 2
महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025




