जहाँ चाह वहां राह…..!

 

थोड़ी देर विचार करें कि आप तीसरी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दें, लेकिन आपकी कविताएँ पाँच विद्वानों के पीएचडी शोध का विषय बन जाएं! हलधर नाग, जिन्हें ‘लोक कवि रत्न’ कहा जाता है, ने कोसली भाषा में कविताएँ लिखकर साहित्य की दुनिया में इतिहास रच दिया। उनके पास किताबें नहीं, लेकिन उनकी कविताओं में छिपा ज्ञान किसी ग्रंथ से कम नहीं।

 

हलधर नाग की पहली कविता 1990 में प्रकाशित हुई, और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। समाज, प्रकृति, और पौराणिक कथाओं पर लिखने वाले इस अद्भुत कवि ने कोसली भाषा को नई ऊंचाई दी। उनकी कविताएँ न सिर्फ जनता के दिलों को छूती हैं, बल्कि उन्हें साहित्य का एक अनमोल खजाना बना चुकी हैं। उनकी रचनाएँ इतनी प्रभावशाली हैं कि उन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

 

उनके शब्दों में, “हर कोई कवि है, पर उसे आकार देना कला है।” यह वाक्य उनकी सरलता और गहराई को बखूबी दर्शाता है। बिना किताबों की मदद के, हलधर नाग ने अपनी कविताओं से समाज को जोड़ने और प्रेरित करने का जो काम किया, वह हर किसी के लिए प्रेरणा है।

 

 

 

 

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