पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे और सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे। डॉ. सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे और 1991 में वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक उदारीकरण की ऐतिहासिक पहल की। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास के नए आयाम छुए और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की।
डॉ. मनमोहन सिंह को 1991 में लाइसेंस राज समाप्त कर भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का श्रेय दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि हुई और आर्थिक विकास तेज हुआ। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा), और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए गए। 2006-07 में भारत ने 10.08% की जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की, जो आज तक की सबसे अधिक है।
उनके नेतृत्व में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता हुआ, जिसने देश को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊंचाई दी। वैट प्रणाली को लागू कर उन्होंने कर सुधारों को भी प्रोत्साहित किया। डॉ. सिंह के शांत और दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था 8-9% की दर से बढ़ी और भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुआ।
उनके निधन पर भारत सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। डॉ. सिंह के योगदानों को हमेशा याद किया जाएगा, जिन्होंने भारत को एक नई दिशा दी और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई।