
बिलासपुर में महात्मा श्री राम भिक्षुक धर्म जागरण समिति द्वारा 29 जनवरी 2025 को साइंस कॉलेज मैदान में 1108 पार्थिव शिवलिंगों पर महा रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन मौनी अमावस्या के अवसर पर होगा। भक्तगण ₹1500 की रसीद कटवाकर इस पवित्र अनुष्ठान में शामिल हो सकते हैं। यह समारोह धार्मिक जागरूकता फैलाने और भक्ति के माध्यम से एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

खैरागढ़ विश्वविद्यालय का सम्पूर्ण इतिहास (इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय)

इस शीत कालीन अवकाश पर खैरागढ़ जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,
और सच में छत्तीसगढ़ में होने के बाद भी इस जगह के गौरव पूर्ण इतिहास के बारे में बहुत कम ही जानकारी है हम लोगों को, इसीलिए जितना संक्षिप्त मे हो सके उतनी जानकारी आप सब से साझा कर रहा हूं और अगले पोस्ट पर मैं वहाँ के सारे विभाग के बारे में जानकारी देने की कोशिश करूं


स्थापना:
इस विश्वविद्यालय की स्थापना खैरागढ़ रियासत के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और उनकी पत्नी महारानी पद्मावती देवी ने की थी। राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने अपनी निजी संपत्ति को इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए दान कर दिया। और इस विश्वविद्यालय का नाम उनकी दिवंगत बेटी राजकुमारी इंदिरा देवी के नाम पर रखा गया।

संस्थापक:
इस विश्वविद्यालय की स्थापना खैरागढ़ रियासत के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और उनकी पत्नी पद्मावती देवी ने की थी। राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने अपनी निजी संपत्ति को इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए दान कर दिया।

स्थान – खैरागढ़ – जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडाई पर स्थित है।

🔺🔺🔺🔺🔺
विश्वविद्यालय के मूलभूत आधार…
भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और ललित कलाओं को संरक्षित करना।
नई पीढ़ी को भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ना।
विश्व स्तर पर भारतीय कला की पहचान स्थापित करना।
छात्रों को कला, संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में शोध और नवाचार के अवसर प्रदान करना।

🔺🔺🔺🔺🔺

विश्वविद्यालय का विकास:
प्रारंभ में, विश्वविद्यालय का संचालन खैरागढ़ महल में किया गया था।
वर्ष 1965 में इसे “राज्य विश्वविद्यालय” का दर्जा मिला।
विश्वविद्यालय ने समय के साथ खुद को एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक और कला शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया।
🔺🔺🔺🔺🔺
प्रमुख पाठ्यक्रम:
1. संगीत: शास्त्रीय गायन, वाद्य संगीत (सितार, तबला, बांसुरी, वायलिन)।
2. नृत्य: कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी।
3. ललित कला: पेंटिंग, मूर्तिकला, ग्राफिक्स।
4. नाट्यकला: थिएटर और नाटक।
5. अन्य: पीएच.डी., एम.फिल., डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स।

🔺🔺🔺🔺🔺
विश्वविद्यालय का योगदान:
विश्वविद्यालय ने भारतीय शास्त्रीय कला के महान कलाकारों और विद्वानों को जन्म दिया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्वविद्यालय के छात्रों ने कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं।
यह विश्वविद्यालय भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
🔺🔺🔺🔺
विश्वविद्यालय का कैंपस:
विश्वविद्यालय का परिसर खैरागढ़ महल में फैला हुआ है।
आधुनिक सुविधाएं, पुस्तकालय, संगीत स्टूडियो, कला दीर्घाएं और नृत्य प्रैक्टिस हॉल मौजूद हैं।
देश-विदेश के छात्र यहां कला की शिक्षा प्राप्त करने आते हैं।

🔺🔺🔺🔺🔺
उल्लेखनीय तथ्य:
1. एशिया का पहला संगीत और कला विश्वविद्यालय।
2. संगीत और कला के क्षेत्र में गहन शोध को प्रोत्साहित करता है।
3. यहां से स्नातक कई कलाकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए हैं।
4. सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है।
🔺🔺🔺🔺🔺
“खैरागढ़ विश्वविद्यालय: जहां संगीत, नृत्य और कला की आत्मा बसती है।”
