25 साल पुराना जुआ सट्टा रकम घोटाला तात्कालिन लिपिक को संदेह का लाभ देते हुए किया दोष मुक्त

25 साल पुराने घोटाले में तत्कालीन लिपिक दोषमुक्त


                        दोषमुक्त हेमंत ताम्रकार 
बिलासपुर: जिला एवं सत्र न्यायालय, बिलासपुर में 25 साल पुराने जुआ व सट्टा से प्राप्त रकम के घोटाले में आरोपी तत्कालीन दाण्डिक निष्पादन लिपिक हेमंत ताम्रकार को न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है।


सितंबर 1998 के पहले और बाद तक विभिन्न थानों से जुआ एक्ट के तहत राजसात की गई ₹10,194 की रकम को मालखाना में जमा नहीं करने और स्वयं उपयोग करने का आरोप तत्कालीन लिपिक पर लगाया गया था। इस संबंध में 20 नवंबर 2000 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देश पर न्यायालय अधीक्षक ने सिविल लाइन थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने विवेचना कर 24 फरवरी 2001 को आरोपी के खिलाफ धारा 409 (सरकारी कर्मचारी द्वारा विश्वासघात) के तहत चालान पेश किया था।



➡️जुलाई 2002 से इस मामले की सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में शुरू हुई।

➡️अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों और 11 दस्तावेजों को प्रस्तुत किया।

➡️9 जनवरी 2025 को न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती सविता सिंह ठाकुर ने अंतिम फैसला सुनाया।

➡️न्यायालय ने सबूतों के अभाव और प्रक्रियागत खामियों के चलते आरोपी को संदेह का लाभ दिया। फैसले में निम्नलिखित बिंदु महत्वपूर्ण रहे:

➡️गवाहों ने मालखाना के प्रॉपर्टी रजिस्टर को लेकर स्पष्ट बयान नहीं दिया।

➡️फर्द चालान में माल ले जाने वाले हेड मुहर्रिर के हस्ताक्षर और थाने की सील नहीं थी।

➡️जुआ एक्ट के तहत जब्ती मामलों में संपत्ति पर्चे की पुष्टि आवश्यक होती है, लेकिन इसे न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया।
                    वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सुरेश पांडे 



आरोपी की ओर से अधिवक्ता सुरेश पाण्डेय, सतीश ठाकुर और राजेन्द्र श्रीवास ने बचाव किया। सभी कानूनी पहलुओं को उठाते हुए सबूतों की कमी और प्रक्रियागत त्रुटियों को उजागर किया, जिससे आरोपी को न्यायालय से दोषमुक्ति मिल गई।


25 साल से चले आ रहे इस चर्चित मामले में अदालत ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया। हालांकि, यह मामला न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता और समयसीमा को लेकर कई सवाल खड़े करता है।

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