देश के रतन..रतन टाटा ने जिद मे बना दी होटल ताज…..

 

Tata की जिद के चलते भारत में बना था दुनिया का सबसे आलीशान Hotel, कभी 10 रुपए था इस होटल रूम का किराया

होटल ताज के बारे में कौन नहीं जानता। इसका नाम सुनते ही मन में लग्जरी फीलिंग आती है और ये सच भी है। यह होटल भारत का सबसे पॉपुलर 5 स्‍टार होटल है। यह होटल 27/11 के अटैक की कहानी को भी बयां करता है।

हर व्‍यक्ति का सपना होता है कि एक बार इस होटल में जरूर जाया जाए। सच पूछिए तो जो लोग इस होटल का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है,

वे मुंबई जाने पर इसके बाहर खड़े होकर फोटो जरूर खिंचवाते हैं। उनकी ताज होटल को करीब से देखने की हसरत कम से कम पूरी हो जाती है। दरअसल, होटल ताज बहुत महंगा है

यह देश की पहली ट्रेडमार्क बिल्डिंग भी है।

टाटा ग्रुप के जेआरडी टाटा ने इसे बनवाया था और इसका शुभारंभ 16 दिसंबर 1903 में हुआ था। यूं तो टाटा ग्रुप के कई होटल भारत के कई शहरों में बने हुए हैं।

लेकिन मुंबई स्थित ताज होटल बनने की कहानी बहुत दिलचस्‍प और रोचक है। तो आइए जानते हैं कैसे बना होटल ताज।सबसे पहले जानना जरूरी है कि आखिर होटल ताज का निर्माण हुआ क्‍यों। बताया जाता है कि एक बार जेआरडी टाटा ब्रिटेन घूमने गए थे।

वहां के वाटसन होटल में भारतीय होने के चलते उन्‍हें रुकने नहीं दिया। इस होटल में केवल गोरे लोगों की एंट्री थी। बस तभी उन्‍होंने ठान लिया कि एक ऐसे होटल का निर्माण करेंगे, जिसे भारतीय ही नहीं,

बल्कि दुनियाभर के लोग देखते रह जाएंगे।

गेटवे ऑफ इंडिया भले ही भारत की प्रमुख और प्राचीन स्‍मारक है, लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि होटल ताजमहल पैलेस का निर्माण इससे पहले ही हो गया था। जबकि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण 1924 में हुआ था यह भारत का पहला ऐसा होटल था, जहां बिजली तो थी ही , साथ ही यहां पर अमेरिकी पंखों, तुर्की बाथरूम, जर्मन लिफ्ट के अलावा इंग्लिश बटलर हायर किए गए थे। भारत का पहला इंटरनेशनल डिस्कोथेक भी यहीं बना था, जिसे उस समय ब्‍लो अप कहा जाता था।शायद आप नहीं जानते होंगे, लेकिन जिस होटल को आप महंगा मानते हैं, कभी उस होटल के सिंगल रूम का किराया 10 रुपए और पंखे व अटेच्ड बाथरूम वाले बाथरूम का किराया 13 रूपए हुआ करता था। आज उसी होटल में एक दिन ठहरने के लिए यात्री को कम से कम 25 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं।कहते हैं प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान भारत का सबसे लग्जरी होटल अस्पताल में तब्‍दील हो गया था। बता दें कि विश्‍व युद्ध 1914 -1918 तक चला था। घायलों के इलाज के लिए करीबन 600 बेड यहां लगवाए गए थे

 

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