विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक हार्दिक बधाई और शुभकामनाए.. I

ॐ विश्वकर्मा देवाय नम : !

विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभ कामनाएं ।। शिल्प और

वास्तुविद्या के अधिदेवता भगवान विश्वकर्मा निर्माण और सृजन के

देवता हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में जितने

भी प्रसिद्घ शहर, नगर और राजधानियां थीं,

मुख्यतया विश्वकर्मा जी की

ही बनाई हुई थीं। यह भी

पूरी तरह सच है कि सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेता युग

की लंका, द्वापर युग की द्वारिका तथा कलयुग

के प्राचीन चर्चित शहर हस्तिनापुर को बनाने का श्रेय

भी विश्वकर्मा जी को ही जाता

है। पुराणों में इसका व्यापक विवरण मिलता है। स्पष्ट है कि जब

इतने बड़े-बड़े नगर और राज्यों की राजधानियां विश्वकर्मा

जी ने बनाईं और अपनी उत्कृष्ट निर्माण

कला का प्रदर्शन किया तो वह हमारे सबसे महत्त्वपूर्ण देवता हैं।

उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की

निर्माण कथा तो विश्वकर्मा जी का ही

गुणगान करती है। इसलिए विश्वकर्मा जी

का नित्य स्मरण और पूजा करना हर मनुष्य के लिए आवश्यक है,

जिससे उसे धन-धान्य और सुख-समृद्वि निरंतर प्राप्त

होती रहे। साथ ही विश्वकर्मा

जी द्वारा निर्मित वास्तुशास्त्र के उपयोग से अपने

मकान,दुकान का वास्तु करवा कर, विश्वकर्मा जी

की पूजा करके आ रही परेशानियों से मुक्ति

प्राप्त करनी चाहिए।

विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के परिवार के

सदस्य हैं। ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र

वास्तुदेव थे। धर्म की वस्तु नामक स्त्री,

जो दक्ष की कन्याओं में से एक थी, से

वास्तु के रूप में, सातवें पुत्र के रूप में उन्होंने जन्म लिया। इन्हें

शिल्पशास्त्र का आदि पुरुष माना जाता है। इन्हीं वास्तुदेव

की अंगिरसी नामक पत्नी से

विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ।

 

 

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