लेडी भागीरथ तुझे सलाम…!

 

उत्तर कन्नड़ जिले के गणेश नगर की 55 वर्षीय गौरी चंद्रशेखर नायक ने साबित कर दिया है कि जब इंसान पूरी ताकत लगाता है, तो पत्थर से भी पानी निकाल सकता है। जिस तरह से “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है,” उसी तरह गौरी ने अपने अडिग संकल्प और अद्वितीय साहस से सूखी जमीन से पानी निकालने का बीड़ा उठाया है।

 

गौरी चंद्रशेखर नायक, जिन्हें ‘लेडी भगीरथ’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा, ने पानी की भारी कमी से जूझ रहे आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए खुद अपने हाथों से कुआं खोदने का साहसिक निर्णय लिया है। बिना किसी तकनीकी सहायता, सिर्फ कुदाल, टोकरी, और रस्सी के सहारे, हर दिन डेढ़ फीट की गहराई तक खुदाई करते हुए, गौरी अपने दृढ़ निश्चय और सेवा के प्रति समर्पण का अद्भुत उदाहरण पेश कर रही हैं।

 

यह कोई पहली बार नहीं है जब गौरी ने इस तरह का साहस दिखाया हो। 2017 और 2018 में भी उन्होंने दो कुएं खोदकर अपने समुदाय की पानी की समस्या का समाधान किया था। उनका यह कदम सिर्फ एक कुआं खोदने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि जब किसी के दिल में सेवा का सच्चा भाव हो, तो वह असंभव को भी संभव कर सकता है।

 

गौरी के इस प्रेरणादायक कार्य को देखकर उनके बेटे, विनय नायक, भी गर्व से भर उठते हैं। उनका कहना है कि उनकी मां सुबह से लेकर शाम तक बिना किसी थकावट के इस कठिन कार्य में जुटी रहती हैं। गौरी का यह संकल्प न केवल आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए पानी का सुरक्षित स्रोत उपलब्ध कराएगा, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है कि जब इंसान अपने इरादों में दृढ़ होता है, तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।

 

गौरी चंद्रशेखर नायक की इस कहानी से न सिर्फ आंगनवाड़ी के बच्चों को पानी मिलेगा, बल्कि उनके साहस, धैर्य और सेवा के प्रति समर्पण से पूरा समुदाय प्रेरित होगा। उनकी इस अविश्वसनीय यात्रा को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि असली शक्ति उम्र, साधन या संसाधनों में नहीं, बल्कि अदम्य इच्छाशक्ति और सेवा के भाव में होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *