फाइनेंस कंपनियों के लिए कड़े दिशा-निर्देश: पुलिस की सख्ती

बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह के निर्देशन में हाल ही में शहर की विभिन्न फाइनेंस कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य कंपनियों की कार्यप्रणाली को कानूनी दायरे में लाना और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना था।
बैठक के मुख्य बिंदु:
1. वाहन जब्ती पर निर्देश:
पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि फाइनेंस कंपनियां केवल उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करके ही किसी वाहन को जब्त कर सकती हैं। गैर-कानूनी तरीके से गाड़ियां सीज करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
2. गुंडागर्दी पर प्रतिबंध:
कंपनियों को हिदायत दी गई कि वाहन जब्ती के लिए बाउंसर या बाहरी लोगों का उपयोग नहीं किया जाएगा। ग्राहकों को धमकाना या डराना पूर्णतया अस्वीकार्य है।
3. गोल्ड लोन में सावधानी:
गोल्ड लोन के मामलों में नकली सोने के माध्यम से धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ने सोने की गुणवत्ता और ग्राहक की पहचान के सत्यापन को अनिवार्य बताया।
4. कर्मचारियों की जांच:
कंपनियों को निर्देश दिए गए कि अपने कर्मचारियों का नियमित चरित्र सत्यापन करें ताकि किसी भी तरह की धोखाधड़ी या अवैध गतिविधि पर अंकुश लगाया जा सके।
ग्राहकों को दी गई सलाह:
लोन लेने से पहले सतर्कता:
फाइनेंस कंपनी की पृष्ठभूमि और कानूनी स्थिति की जांच करना अनिवार्य है।
फर्जी धमकियों से बचाव:
यदि कोई फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी धमकी देता है या डराता है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
सोने के मूल्यांकन की जांच:
गोल्ड लोन लेते समय सोने की गुणवत्ता और सही प्रक्रिया के बारे में जानकारी लें।
देशभर में बढ़ते फर्जीवाड़े:
हाल ही में नकली सोने के नाम पर फाइनेंस कंपनियों को ठगने और ग्राहकों को फर्जी लोन देकर धोखाधड़ी करने के कई मामले सामने आए हैं। इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस और कंपनियों का सहयोग जरूरी है।
निष्कर्ष:
यह बैठक फाइनेंस कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास को बढ़ाने और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस की इस पहल से ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और फाइनेंस कंपनियों की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी।



