शिवरीनारायण माघी पूर्णिमा मेला 12 फरवरी से शुरू, आचार संहिता के कारण महोत्सव रद्द

शिवरीनारायण माघी पूर्णिमा मेले का शुभारंभ 12 फरवरी से, महोत्सव नहीं होगा आयोजित



जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल शिवरीनारायण में इस वर्ष भी माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन 12 फरवरी से शुरू होगा। लाखों श्रद्धालु चित्रोत्पल्ला गंगा के त्रिवेणी संगम में स्नान कर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करेंगे। हालांकि, इस बार नगरीय निकाय चुनाव के चलते आचार संहिता लागू होने के कारण शिवरीनारायण महोत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा।


शिवरीनारायण का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

शिवरीनारायण, जिसे माता शबरी का जन्मस्थल माना जाता है, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। मान्यता है कि भगवान नील माधव (भगवान जगन्नाथ) ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर से हर वर्ष माघी पूर्णिमा के दिन अपने मूल स्थान शिवरीनारायण लौटते हैं, जिसके कारण वर्षों से यहां यह भव्य मेला आयोजित होता आ रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष तैयारियां

मंदिर के प्रमुख पुजारी हरीश तिवारी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी से इस मंदिर की पूजा-अर्चना करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के मूल स्थान छोड़ने के बाद यह मंदिर सूना हो गया था, लेकिन बाद में भगवान नारायण स्वयं स्वयं-भू रूप में प्रकट हुए। आज भी उनके चरणों के नीचे रोहिणी कुंड स्थित है, जिसका जल गंगाजल की तरह पवित्र और अक्षय माना जाता है।

मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, वहीं श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। प्रसाद वितरण और विशेष दर्शन की भी उचित व्यवस्था की गई है।


देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

भगवान शिवरीनारायण मंदिर ट्रस्ट के सर्वराकार महंत राम सुंदर दास महाराज ने बताया कि यह मेला अविभाजित मध्यप्रदेश का सबसे लंबा चलने वाला मेला रहा है, जो माघी पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक चलता था। इस अवसर पर देशभर से श्रद्धालु यहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, विशेषकर ओडिशा से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मेला प्रसाद “ओखरा” लेकर जाते हैं।


इस बार महोत्सव क्यों नहीं होगा?

इस वर्ष शिवरीनारायण महोत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा, क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है। इस कारण प्रशासन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों और बड़े आयोजनों को अनुमति नहीं दी गई है।

हालांकि, इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं दिख रही है, और 12 फरवरी से हजारों भक्त शिवरीनारायण आकर त्रिवेणी संगम में स्नान कर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करेंगे।

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