25 अगस्त को संपूर्ण भारत वर्ष में मनाए जाने वाला शीतला माता का त्यौहार सिंधी समाज का पारंपरिक त्योहार माना जाता है जिसमें सर्व समभाव के साथ सिंधी समाज के लोग अपने घरों में चूल्हा नहीं जलाते तथा शीतला देवी की पूजा करते हैं
सिंधी समाज का पारंपरिक पर्व शीतला माता को समर्पित होता है और ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति शीतल जनित रोगों से पीड़ित हो तो मां शीतला उन्हें दूर कर आशीर्वाद प्रदान करती है अतः ग्रस्तों के लिए शीतला माता की आराधना दहिक टापू ज्वार संक्रमण तथा अन्य विषयों के दुष्प्रभाव से मुक्ति दिलाता है इस दिन प्रत्येक सिंधी परिवार द्वारा मां शीतला देवी की आराधना करके रोग मुक्त होने की कामना की जाती है
आज से हजारों वर्ष पूर्व मोहनजोदड़ो की खुदाई में शीतला देवी की मूर्ति निकली थी ऐसी मान्यता है कि उन्ही की आराधना के लिए यह पर्व मनाया जाता है इस त्यौहार में सिंधी समुदाय एक दिन पहले ही व्यंजन जैसे मीठी कोकी बेसन की कोकी सुखी तली हुई सब्जियां रायता दही बड़े मक्खन आदि बना लेते हैं और उसको दूसरे दिन सभी को बाटकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं शक्कर से बनने वाला यह व्यंजन स्वादिष्ट मिठाई को कोकी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां शीतला की आराधना और पूजा करने से तप संबंधी विभिन्न रोग से व्यक्ति मुक्त होता है और मां शीतला का आशीर्वाद उसे पर सदा सदा के लिए बना रहता है जय शीतला माता… 