बस्तर में है श्री नारायण जी का हजारों साल पुराना मन्दिर…

छत्तीसगढ़ के बस्तर को धर्म की नगरी भी कहा जाता हैं जगदलपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर नागवंशी शासनकाल में बनाए गए नारायणपाल मे यदि हम देखे तो यहाँ बहुत से प्राचीन काल मंदिरों और भारतीय संस्कृति से जुड़े हैं  जानकारी के अनुसार 11 वी शताब्दी.जिसमे महादेव के मन्दिर, भगवान् विष्णु और देवी दुर्गा के प्रति यहां पर लोगों की गहरी आस्था जुडी हुई है यहां के भाव और आस्था जनित बेहद खूबसूरत मंदिरों का निर्माण रियासत काल की रानी मुंमुद देवी से ही जुड़ा हुआ है.

इन मंदिरों में से एक नारायण पाल का विष्णु मंदिर लाल पत्थर से बने लगभग 70 फीट ऊंची इस मंदिर का निर्माण करीब 1000 साल पहले छिड़क नवांश के राजा जगदीश भूषण ने करवाया था बस्तर में इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम के पास नारायण पाल गांव में यह पुराण विष्णु मंदिर बस्तर में और छत्तीसगढ़ के छिदक नागवंशी राजाओं की वैभव की गौरव गाथा का स्मारक है राजा जगदीश भूषण ने किया था इस मंदिर का निर्माण बस्तर के इतिहासकार हेमंत कश्यप ने बताया कि

 

छत्तीसगढ़ के बस्तर में छिंदक नाग वंश का शासन था और उनकी ईश्वर के प्रति गहरी आस्था और भक्ति थी जगदलपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर नागवंशी शासनकाल में बनाया गया यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है इसे नारायण पाल विष्णु मंदिर भी कहा जाता है यह मंदिर नाग कालीन उन्नत वास्तुकला का बेहतर प्रमाण है इस मंदिर से शिलालेख भी प्राप्त होते हैं यह भी स्पष्ट होता है कि यह मंदिर हजारों साल पहले बस्तर के रहवासी देवालय निर्माण में राजाओं को धन देकर सहयोग करते थे 

 

 विशेष बात नारायण मंदिर के अंदर करीब 8 फीट ऊंचा एक शिलालेख है इसमें शिवलिंग और चंद्रमा के अलावा गए और बछड़े की आकृति भी उतारी गई है शिलालेख में उकेरा गया है मंदिर निर्माण में आसपास के स्थलो को मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार द्वारा प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक की जगह की मान्यता दी है

 

प्राचीन स्मारक संरक्षक अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित है करीब 70 फीट ऊंची इस मंदिर को देखने हर साल हजारों हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं इतिहासकार हेमंत कश्यप ने बताया कि बस्तर में नारायण मंदिर ऐसा इकलौता मंदिर है जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है उड़ीसा शैली से बनाया गया है जो की यहाँ स्पष्ट नजर आती है मंदिर का निर्माण वेदिका पर किया गया है  

मन्दिर का गर्भ गृह बेहद विशाल और मनोहारी है नारायण पाल का यह मंदिर खजुराहो समकालीन मंदिर है और नागवंश शासक के समय की जानकारी अपने आप में समेट हुआ है .. .. 

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